भारत के जीसैट -18 संचार उपग्रह का सफल प्रक्षेपण होम / अभिलेखागार / भारत के जीसैट -18 संचार उपग्रह का सफल प्रक्षेपण
अक्टूबर 06, 2016 भारत के संचार उपग्रह जीसैट -18 का आज (अक्टूबर 06, 2016) सुबह यूरोपीय एरियन 5 VA-231 प्रमोचन वाहन द्वारा सफलतापूर्वक प्रमोचन किया गया था। 3404 किलो जीसैट -18 देश को विभिन्न सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सी-बैंड, ऊपरी विस्तारित सी-बैंड और केयू-बैंड में 48 संचार ट्रांसपोंडरों को वहन करता है। बाधारहित उलटी गिनती के बाद, आज एरियन -5 प्रक्षेपण यान से सही समय पर 0200 बजे (2:00 बजे) आईएसटी पर उत्थापन किया गया । 32 मिनट और 28 सेकंड के उड़ान के बाद जीसैट -18 उपभू (पृथ्वी के सबसे नजदीक बिंदु) 251.7 किलोमीटर और अपभू (पृथ्वी से दूरस्थ बिंदु) 35,888 किलोमीटर और भूमध्य रेखा से 6 डिग्री के कोण की आनति के साथ अण्डाकार भू-तुल्यकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में एरियन -5 ऊपरी चरण से अलग हो गया । इसरो के मुख्य नियंत्रण सुविधा (एमसीएफ) हासन, कर्नाटक ने जीसैट -18 का प्रक्षेपण यान से अलग होने के तुरंत बाद कमान और नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। उपग्रह की प्रारंभिक स्वास्थ्य की जांच से उसके सामान्य स्वास्थ्य का पता चला। आने वाले दिनों में, चरणों में उपग्रह के प्रणोदन प्रणाली का उपयोग करके कक्षा को ऊपर उठाने के कौशल से जीसैट -18 उपग्रह (भूमध्य रेखा के ऊपर 36,000 किमी) को भू-स्थिर कक्षा में स्थापित किया जाएगा। कक्षा ऊपर उठाने के प्रचालन पूरे होने के बाद, जीसैट -18 के दो सौर व्यूह और दोनों एंटीना रिफ्लेक्टर प्रस्तरित किए जाएंगे। इस के बाद, उपग्रह अपने अंतिम कक्षीय विन्यास में डाल दिया जाएगा। जीसैट -18 भू-स्थिर कक्षा में पूर्वी देशांतर से 74 डिग्री पर स्थापित किया जाएगा और भारतीय परिचालन भूस्थिर उपग्रहों के साथ सह-स्थित हो जाएगा। बाद में, प्रयोगात्मक रूप में जीसैट -18 के संचार पेलोड को चालू करने की योजना बनाई है। कक्षा में सभी परीक्षणों के सफल समापन के बाद जीसैट -18 परिचालन उपयोग के लिए तैयार हो जाएगा।